How is Paper Made: किताब बनने वाली कागज कैसे बनती है जानकर हैरान रह जाएंगे

How is Paper Made: नमस्कार दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि आप इतने दिनों से जी पेपर या बुक पर पढ़ाई कर रहे हैं वह एक पैर की छाल से बनता है। अब यकीन नहीं करेंगे कि आपने अब तक जितनी भी पढ़ाई करी है चाहे वह किताब पर करी हो या कलम पर यह सभी एक पैर से बनाई गई है। हैरान मत होइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको किताब बनने कागज के बारे में बताने जा रहे हैं। खैर पर से पेपर बनने का प्रक्रिया बहुत लंबा है। लेकिन बहुत ही मजेदार है तो चलिए शुरू करते हैं।

प्राचीन काल में शैक्षणिक क्रियाएं

How is Paper Made: भारत में शिक्षा का निर्माण आज से करोड़ों वर्ष पहले हो चुका था। तब लोगों के पास पढ़ने लिखने के लिए कोई पेपर नहीं होती थी। लोग पढ़ाई लिखाई करने के लिए दीवाल पर चित्र या शब्दों से अपने बात याद रखते थे या किसी दूसरे को बताते थे। जिसका उल्लेख आज भी कई जगह पर देखने को मिलता है। जब करोड़ों वर्ष पहले शैक्षणिक क्रिया शुरू हुई तब लोग इसे चित्र के माध्यम से पत्थर जमीन या पेड़ पर करते थे। जिसे कहीं लेकर जाना आना संभव नहीं था। इसलिए उन लोगों ने एक ऐसा उपाय ढूंढा जिस पर लिखा पढ़ा जा सके और साथ में उसे कहीं और भी ले जाया जा सके।

How is Paper Made

अगर हम प्राचीन काल से कुछ समय पहले आए तो, लोग की क्रियाएं को याद रखने के लिए ऐसे पत्थर का इस्तेमाल करते थे जिसे कहीं लेकर आया जा सके। लेकिन फिर भी उनमें परेशानी होती थी। इसके बाद लोग पैर की कटाई कर उसकी पतली पतली परत बनाकर उसे पर लिखा करते थे। जिसे कहीं लेकर आना जाना आसान था और हल्का भी। लेकिन पर को अधिक दिनों तक संग्रहित नहीं किया जा सकता था। साथ ही मोटा होने पर अधिक बातें नहीं लिखा जा सकती थी। तब उसे पेपर की मोटाई को काम करते गया।

एक समय के बाद उस पैर की मोटी इतनी पतली हो गई कि वह एक पेपर के जैसे दिखने लगे। अब ऐसे पेपर पर लोग अधिक बातें और अधिक पेपर संग्रहित कर सकते थे। समय दर समय यहां बदलता क्या और आज हम जी पेपर पर पढ़ाई करते हैं वह मॉडर्न है।

किताब बनने वाली पेपर का निर्माण

पहले लोग सीधा पेड़ के चल पर पढ़ाई करते थे। लेकिन अब पेपर बनाने वाली एक पेड़ है जिसको थोड़ा-थोड़ा कर छिला जाता है। फिर उसे पानी में रखकर कुछ घंटे तक छोड़ने के बाद पीर का चल ऊपर तैरने लग जाता है। जिसे छानकर उसमें और कई सारे पदार्थ मिलाए जाते हैं ताकि वह सख्त और टिकाऊ बन सके। इसके बाद उसे मशीन में ले जाकर अच्छे से कटाई की जाती है और उसके थिकनेस को और पतला किया जाता है। इसके बाद एक पेपर बनकर तैयार होता है।

किताबों का अंत होंगे डिजिटल रूप से

इसके बाद उसे पर छपाई कर उसे किताब में बदल दिया जाता है। थिकनेस को कम करने के वजह से ही आज हम मोटे-मोटे किताबों में करोड़ वार्ड से लिख पाते हैं और उसे पढ़ पाते हैं। आने वाले समय में यह पेपर और बुक भी खत्म हो जाएंगे क्योंकि मॉडर्न जमाने में सभी चीज डिजिटल तरीके से लिखे जाते हैं और वह कभी भूल भी नहीं सकता है। पेपर और किताबें एक समय के बाद खराब होकर खत्म हो जाएंगे लेकिन डिजिटल लिखे हुए शब्द कभी खत्म नहीं होंगे। क्योंकि उन्हें फाइलों में एक संग्रहित कर रखा जा सकता है।

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